रविवार, जुलाई 08, 2012

दुःख सहन करोगे तभी सुख को समझोगे.


एक बादशाह को समुद्र यात्रा करने का शौक था. उसने जहाज और नाव से कई देशों की यात्राएं की थीं. एक बार उसने सोचा जो मेरा सबसे प्रिय गुलाम है उसे भी ले चलूँ.
Ship
गुलाम ने इसके पूर्व कभी भी पानी के जहाज से यात्रा नहीं की थी. जहाज में चढते वक्त वह बहुत प्रसन्न था. लेकिन जैसे ही जहाज आगे बढ़ने लगा चारों तरफ पानी देख वह चिल्लाने लगा.
जहाज पर मौजूद लोगों ने उसे समझाया कि जहाज पर वह पूरी तरह सुरक्षित है, परन्तु उसका चिल्लाना बंद नहीं हुआ. उसकी आवाज सुन बादशाह भी अपने केबिन से बाहर आ गए. शोर के कारण वह गुस्से में थे. उन्होंने खल्लासियों से गुलाम को चुप कराने को कहा. कईयों ने प्रयास किया लेकिन वह शांत नहीं हुआ. एक वृद्ध खलासी ने बादशाह से कहा, “जहापनाह, अगर इजाजत दें तो में इसे चुप करा सकता हूँ.”
बादशाह ने अनुमति दे दी. वृद्ध खलासी की सलाह पर गुलाम को रस्सियों से बांध कर जहाज के नीचे पानी में लटका दिया. फिर दो तीन बार डुबकी लगवाई और फिर से जहाज पर खींच लिया. ऊपर आने के बाद वह चुपचाप एक कोने में शांत हो बैठ गया.
सब आश्चर्य चकित थे. बादशाह ने वृद्ध खलासी से कारण जानना चाहा तो वह बोला, “जहापनाह ! वह पहले समुद्र में डूबने का दुःख जानता नहीं था, अब उसने उसकी झलक देख ली है. उसे अब सुरक्षा का अहसास हो रहा है. इसीलिए वह शान्त है”.
“सुख को वही समझ सकता है जिसने दुःख को समझा हो, वर्ना हाथ आये सुख को लोग गवां देते हैं”,  वृद्ध बोला. खुश हो बादशाह ने उसे सोने की मोहर दी और अपने दरबार में रख लिया.

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