God of Justice ? |
यूँ तो इस परिवर्तन से जातकों को राशिवार अलग अलग फल मिलेंगे , परन्तु ज्योतिषविदों का मानना है कि उच्च राशि का शनि सभी जातकों को श्रेष्ठ फल देने वाला ही रहेगा।
'शनि के ४ अगस्त सुबह 8:55 पर तुला में प्रवेश करते ही मिथुन व कुंभ की ढैया समाप्त हो जाएगी । इनकी अगली राशियों कर्क एवं मीन राशि वालों को ढैया शनि शुरू हो जाएगा ज्यादातर लोग साढ़े साती से घबराते हैं. शनि के राशि परिवर्तन से कन्या, तुला व वृश्चिक को साढ़े साती लगेगी।
साढ़े साती व ढैया रोग, पीड़ा व चिंताकारक, धनहानि, रोजगार में कमी वाला रहता है। शनि के दुष्प्रभाव कम करने का सर्वोत्तम रास्ता है – सादा और ईमानदार व्यव्हार. शनि न्यायप्रिय होने से साढ़ेसाती के दौरान दुरव्यव्हारियों को कष्ट देते हैं । उपासना के तौर पर शनि मंत्र के जाप, शनिवार का व्रत, सप्त धान्य का दान करना व शिवपूजन के साथ पीपल वृक्ष का भी पूजन करने से शनि का अशुभ फल कम होता है ।
“ ओम शं शनिश्चराय नमः “ या “ ओम् प्रां प्रीं प्रों सः शनिश्चराय नमः “ बीज मन्त्रों का जाप करना लाभदायक रहता है । सूर्य पुत्र शनि शिव और हनुमान भक्तों पर भी कम कठोर होते हैं इसलिए इनकी पूजा भी की जाती है । कुछ ज्योतिषविद शनिवार को तेल के दान की सलाह देते हैं ।
अब देखते हैं कि अगले ढाई साल राशिवार शनि क्या फल देंगे । शनि की गति को चार भागों में बाँटा जाता है - लोहे का पाया , तांबे का पाया, चांदी का पाया और सोने का पाया । इन स्तिथियों के प्रभाव भिन्न होते हैं.
अगले ढाई सालों तक शनि की स्तिथि इस प्रकार रहेगी : -
- मेष, कन्या व कुंभ राशि वालों को सोने के पाए में शनि विचरण करेगा।
- वृष, सिंह व धनु राशि वालों को ताम्र पाए में विचरण करेगा ।
- मिथुन, तुला व मकर के लिए चांदी के पाए से और
- कर्क, वृश्चिक व मीन राशि वालों को लोहे के पाए से आगामी समय तक विचरण करेगा।
- सोने व लोहे के पाए से विचरण वाला शनि मनोबल को कमजोर व मन को अशांति कारक रखता है ।
- ताम्र व चांदी के पाए वाला शनि सत्पुरुषों के मार्ग दर्शन से श्रेष्ठ फलदायी व भाग्य वृद्धिकारी रहता है ।
वर्तमान में चल रहा मंगल - शनि' का योग शनि के परिवर्तन के साथ ही समाप्त हो जायेगा . इससे शुभ फलों में श्रेष्ठता आएगी । अशुभ फलों का प्रभाव कम होगा एवं मंहगाई पर रोक लगेगी । मगर 14 अगस्त को मंगल के भी तुला राशि में प्रवेश से दोनों का योग फिर शुरू हो जायेगा ।
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